विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा सम्बन्धी आवश्यकताओं व आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु
स्वस्थ एवं सम्पूर्ण शैक्षिक वातावरण बनाना तथा उनकी क्षमता, उत्कृषटता व रचनातमक
में उन्नयन करते हुए सर्वागीण विकास को प्रोत्साहित करना।
उत्तरकाशी जनपद के ग्रामीण, सामाजिक रूप से कमजोर
विद्यार्थियों के नामांकन दर में वृद्वि हेतू प्रयास करना।
गुणवत्तापरक शिक्षा
प्रदान करना जिससे विद्यार्थियों की योग्यताओं व क्षमताओं में विकास हो, उनमे
आत्मविश्वास, निर्णय लेने तथा नेतृत्व प्रदान करने जैसी योग्यताएं विकसित हो।
उच्च-शिक्षा प्रदान करने के परंमपरागत तरीकों के साथ-साथ सूचना व संचार तकनीकी के
प्रयोग को बढावा देना। उच्चा शिक्षा को प्रासंगिक बनाते हुए उत्तरकाशी जनपद के
आर्थिक,
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जनपद उत्तरकाशी के मुख्यालय में अवस्थित इस महाविधालय का शुभारम्भ 30 जून
1969 को विज्ञान सकांय के रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं गणित विषयो की स्वीकृत
तथा 3 प्राध्यापको एवं 12 छात्रो के अध्ययन-अध्यापन के साथ हुआ। 1972-73 मे हिन्दी,
संस्कृत, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, एव राजनिति विज्ञान के साथ कला संकाय
अस्तित्व मे आया। 1974 में स्नातक स्तर पर वाणिज्य हो संकाय कि स्वीकृति हुई, इसके
साथ ही कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकायो में अध्ययन कि व्यवस्था हो गई। 1975-76 में
महाविधालय में स्नातकोत्तर स्तर पर रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, हिन्दी,
अर्थशास्त्र तथा राजनितिक विज्ञान, विषयो के अध्ययन की स्वीकृति प्राप्त हुई।
प्रगति के इस क्रम में सत्र 1978-79 में अग्रेजी, संस्कृत, इतिहास, एवं भौतिक
विज्ञान में स्नातकोत्तर कक्षाएं प्रारम्भ हो गई। 1979-80 में स्नातक स्तर पर
समाजशास्त्र, चित्रण एवं रजन कला तथा स्नातकोत्तर स्तर पर वाणिज्य की कक्षायें
प्रारम्भ हो गई
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